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"गोदान" (Godan) - मुंशी प्रेमचंद का संपूर्ण कथा सारांश

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लेखक: मुंशी प्रेमचंद

प्रकाशन: 1936

शैली: सामाजिक यथार्थवाद

भाषा: हिंदी

Book cover of "गोदान" by प्रेमचंद, showing a farmer plowing a field with oxen against a sunset. A portrait of a man in the background.

कहानी का सारांश:


"गोदान" मुंशी प्रेमचंद का एक प्रसिद्ध और महत्त्वपूर्ण उपन्यास है, जो भारतीय समाज की विषमताओं और असमानताओं को उजागर करता है। यह उपन्यास मुख्य रूप से ग्रामीण भारत की गरीबी, सामाजिक कुरीतियों और शोषण को चित्रित करता है।


कहानी का आरंभ:


कहानी का नायक होरी नामक एक गरीब किसान है, जो उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में रहता है। होरी का सपना है कि वह एक गाय खरीदे, क्योंकि गाँव में गाय को समृद्धि और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। लेकिन उसकी वित्तीय स्थिति इतनी दयनीय है कि वह अपने इस सपने को पूरा नहीं कर पा रहा है।


कृषि और कर्ज का दबाव:


होरी का जीवन कड़ी मेहनत और गरीबी में बिता है। वह अपने खेतों में काम करता है, लेकिन कमाई बहुत कम है। उसे कर्ज़ देने वाले रघुनाथ और अन्य साहूकार उसे शोषित करते रहते हैं। गाँव में एक और समस्याएँ भी हैं जैसे कि उच्च जातियों द्वारा नीची जातियों का शोषण, और ग्रामीण महिलाओं की बदतर स्थिति। इसके बावजूद, होरी का सपना होता है कि वह किसी तरह गाय खरीद सके।


गाय की चाहत:


होरी अपने कर्ज चुकता करने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। वह अपनी पत्नी धनिया की बचत का उपयोग करता है और कर्ज लेकर गाय खरीदने में सफल होता है। गाय उसकी सबसे बड़ी इच्छा और जीवन का सबसे बड़ा निवेश बन जाती है। उसे लगता है कि गाय के साथ उसकी गरीबी दूर हो जाएगी, लेकिन उसकी ज़िंदगी में कई और मुसीबतें आ जाती हैं।


पारिवारिक संघर्ष:


होरी का बेटा मोहन एक आधुनिक सोच वाला युवक है, जो पिता के पुराने तरीकों को नहीं समझता। मोहन अपने पिता के साथ गांव में नहीं रहना चाहता और वह शहर में काम करने के लिए निकल जाता है। होरी का जीवन कड़ी मेहनत और संघर्ष से भरा हुआ है, लेकिन उसे समाज द्वारा कभी भी सम्मान और सहायता नहीं मिलती।


शोषण और सामाजिक असमानता:


गाँव में साहूकारों और उच्च जातियों द्वारा गरीब किसानों का शोषण निरंतर बढ़ता जाता है। होरी अपने खेतों में काम करता है, लेकिन कर्ज का बोझ उसकी पीठ पर भारी होता है। वह बार-बार साहूकारों से कर्ज चुकता करने की कोशिश करता है, लेकिन स्थिति लगातार बदतर होती जाती है।


धनिया का संघर्ष:


होरी की पत्नी धनिया, जो अपने परिवार के लिए निरंतर संघर्ष करती है, भी कई कठिनाइयों से गुजरती है। वह अपने पति के साथ कड़ी मेहनत करती है, लेकिन फिर भी गरीबी का सामना करती है। धनिया का संघर्ष एक सामान्य ग्रामीण महिला के जीवन की कठिनाइयों को दर्शाता है।


सामाजिक और धार्मिक कुरीतियाँ: गोदान


"गोदान" उपन्यास में धार्मिक और सामाजिक कुरीतियों का भी ज़िक्र किया गया है। गाँव में विभिन्न जातियाँ एक दूसरे से अलग रहती हैं, और उच्च जातियों के लोग नीची जातियों को अपमानित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते। इसके अलावा, धार्मिक अंधविश्वास और पुरानी परंपराओं का भी आलोचना की जाती है।


अंतिम स्थिति:


आखिरकार, होरी का सपना टूट जाता है। वह अपनी गाय को अपने कर्ज की अदायगी के लिए बेचने को मजबूर हो जाता है, लेकिन उसकी मेहनत और संघर्ष का कोई सार्थक परिणाम नहीं निकलता। उसके जीवन की कड़ी मेहनत, सामाजिक शोषण, और कर्ज़ के बोझ के बावजूद वह कभी भी सम्मान और खुशी नहीं प्राप्त कर पाता।


कहानी का निष्कर्ष:


"गोदान" उपन्यास का अंत दुखद होता है, जहाँ होरी और उसके परिवार की मेहनत का कोई उचित फल नहीं मिलता। यह उपन्यास भारतीय समाज की जटिलताओं और असमानताओं को उजागर करता है। प्रेमचंद ने इस उपन्यास के माध्यम से यह संदेश दिया कि कैसे भारतीय ग्रामीण समाज में गरीबों और निम्न जातियों के लोग शोषण और गरीबी के सापेक्ष रहते हैं।


यह कहानी न केवल गरीबों के संघर्ष और कष्टों को दर्शाती है, बल्कि यह सामाजिक असमानता, धार्मिक कुरीतियों, और जातिवाद जैसी समस्याओं पर भी गहरा सवाल उठाती है। "गोदान" में प्रेमचंद ने ग्रामीण जीवन की सच्चाई को बड़े ही प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया है।

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